वनवेदिका: Difference between revisions
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<p> समवसरण के चारों वनों के अंत में चारों और ऊंचे-ऊंचे गोपुरों से युक्त, रत्नजड़ित, स्वर्णमय वनवेदी । इसके चांदी से निर्मित चारों गोपुर अष्ट मंगलद्रव्यों से अलंकृत रहते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 22.205, 210 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> समवसरण के चारों वनों के अंत में चारों और ऊंचे-ऊंचे गोपुरों से युक्त, रत्नजड़ित, स्वर्णमय वनवेदी । इसके चांदी से निर्मित चारों गोपुर अष्ट मंगलद्रव्यों से अलंकृत रहते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 22.205, 210 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
समवसरण के चारों वनों के अंत में चारों और ऊंचे-ऊंचे गोपुरों से युक्त, रत्नजड़ित, स्वर्णमय वनवेदी । इसके चांदी से निर्मित चारों गोपुर अष्ट मंगलद्रव्यों से अलंकृत रहते हैं । महापुराण 22.205, 210