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<p> चक्रवर्ती भरतेश के चौदह रत्नों में एक रत्न । यह वास्तुविद्या का पारगामी था । इसने दिव्य शक्ति से नदियों में उस पार जाने के लिए सेतु का निर्माण किया था । यह आकाशगामी रथ बनाने में भी दक्ष था । <span class="GRef"> महापुराण 32. 24-30, 65, 37.177 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> चक्रवर्ती भरतेश के चौदह रत्नों में एक रत्न । यह वास्तुविद्या का पारगामी था । इसने दिव्य शक्ति से नदियों में उस पार जाने के लिए सेतु का निर्माण किया था । यह आकाशगामी रथ बनाने में भी दक्ष था । <span class="GRef"> महापुराण 32. 24-30, 65, 37.177 </span></p> | ||
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Revision as of 16:59, 14 November 2020
चक्रवर्ती भरतेश के चौदह रत्नों में एक रत्न । यह वास्तुविद्या का पारगामी था । इसने दिव्य शक्ति से नदियों में उस पार जाने के लिए सेतु का निर्माण किया था । यह आकाशगामी रथ बनाने में भी दक्ष था । महापुराण 32. 24-30, 65, 37.177