स्थपित
From जैनकोष
चक्रवर्ती भरतेश के चौदह रत्नों में एक रत्न । यह वास्तुविद्या का पारगामी था । इसने दिव्य शक्ति से नदियों में उस पार जाने के लिए सेतु का निर्माण किया था । यह आकाशगामी रथ बनाने में भी दक्ष था । महापुराण 32. 24-30, 65, 37.177
चक्रवर्ती भरतेश के चौदह रत्नों में एक रत्न । यह वास्तुविद्या का पारगामी था । इसने दिव्य शक्ति से नदियों में उस पार जाने के लिए सेतु का निर्माण किया था । यह आकाशगामी रथ बनाने में भी दक्ष था । महापुराण 32. 24-30, 65, 37.177