जिया तुम चालो अपने देश: Difference between revisions
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Latest revision as of 07:27, 16 February 2008
जिया तुम चालो अपने देश, शिवपुर थारो शुभ थान ।।टेक. ।।
लख चौरासी में बहु भटके, लह्यौ न सुखको लेश ।।१ ।।जिया. ।।
मिथ्यारूप धरे बहुतेरे, भटके बहुत विदेश ।।२।।जिया. ।।
विषयादिक सेवत दुख पाये, भुगते बहुत कलेश ।।३।।जिया. ।।
भयो तिरजंच नारकी नर सुर, करि करि नाना भेष ।।४।।जिया. ।।
अब तो निजमें निज अबलोको जहां न दु:ख को लेश ।।५ ।।जिया. ।।
`दौलतराम' तोड़ जगनाता, सुनो सुगुरु उपदेश ।।६ ।।जिया. ।।