सिंहवाहन
From जैनकोष
भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत पर अरुण नगर के राजा सुकंठ और रानी कनकोदरी का पुत्र । इसने तीर्थंकर विमलनाथ के तीर्थ में सद्बोध प्राप्त कर तथा राज्य अपने पुत्र मेघवाहन को देकर लक्ष्मीतिलक मुनि से दीक्षा ले ली थी । पश्चात् कठिन तपश्चरण किया और समाधिमरण पूर्वक देह त्यागकर यह लांतप स्वर्ग में उत्कृष्ट देव हुआ । पद्मपुराण - 17.154-162