देखो भाई! आतमराम विराजै
From जैनकोष
देखो भाई! आतमराम विराजै
छहों दरब नव तत्त्व ज्ञेय हैं, आप सुज्ञायक छाजै।।देखो. ।।
अर्हंत सिद्ध सूरि गुरु मुनिवर, पाचौं पद जिहिमाहीं ।
दरसन ज्ञान चरन तप जिहिमें, पटतर कोऊ नाहीं ।।देखो. ।।१ ।।
ज्ञान चेतना कहिये जाकी, बाकी पुद्गलकेरी ।
केवलज्ञान विभूति जासुकै, आन विभौ भ्रमचेरी ।।देखो. ।।२ ।।
एकेन्द्री पंचेन्द्री पुद्गल, जीव अतिन्द्री ज्ञाता ।
`द्यानत' ताही शुद्ध दरबको जानपनो सुखदाता ।।देखो. ।।३ ।।