बीतत ये दिन नीके, हमको
From जैनकोष
बीतत ये दिन नीके, हमको
भिन्न दरब तत्वनितैं धारे, चेतन गुण हैं जीके।।बीतत. ।।१ ।।
आप सुभाव आपमैं जान्यो, सोइ धर्म है ठीके।।बीतत. ।।२।।
`द्यानत' निज अनुभव रस चाख्यो, पर रस लागत फीके।।बीतत. ।।३ ।।
बीतत ये दिन नीके, हमको
भिन्न दरब तत्वनितैं धारे, चेतन गुण हैं जीके।।बीतत. ।।१ ।।
आप सुभाव आपमैं जान्यो, सोइ धर्म है ठीके।।बीतत. ।।२।।
`द्यानत' निज अनुभव रस चाख्यो, पर रस लागत फीके।।बीतत. ।।३ ।।