तेरी भगति बिना धिक है जीवना
From जैनकोष
तेरी भगति बिना धिक है जीवना
जैसे बेगारी दरजीको, पर घर कपड़ोंका सीवना।।तेरी. ।।१ ।।
मुकुट बिना अम्बर सब पहिरे, जैसे भोजनमें घीव ना।।तेरी.।।२ ।।
`द्यानत' भूप बिना सब सेना, जैसे मंदिरकी नींव ना ।।तेरी.।।३ ।।
तेरी भगति बिना धिक है जीवना
जैसे बेगारी दरजीको, पर घर कपड़ोंका सीवना।।तेरी. ।।१ ।।
मुकुट बिना अम्बर सब पहिरे, जैसे भोजनमें घीव ना।।तेरी.।।२ ।।
`द्यानत' भूप बिना सब सेना, जैसे मंदिरकी नींव ना ।।तेरी.।।३ ।।