वनवेदिका
From जैनकोष
समवसरण के चारों वनों के अंत में चारों और ऊंचे-ऊंचे गोपुरों से युक्त, रत्नजड़ित, स्वर्णमय वनवेदी । इसके चांदी से निर्मित चारों गोपुर अष्ट मंगलद्रव्यों से अलंकृत रहते हैं । महापुराण 22.205, 210
समवसरण के चारों वनों के अंत में चारों और ऊंचे-ऊंचे गोपुरों से युक्त, रत्नजड़ित, स्वर्णमय वनवेदी । इसके चांदी से निर्मित चारों गोपुर अष्ट मंगलद्रव्यों से अलंकृत रहते हैं । महापुराण 22.205, 210