दियैं दान महा सुख पावै
From जैनकोष
दियैं दान महा सुख पावै
कूप नीर सम घर धन जानौं, कढ़ैं बढ़ैं अकढ़ैं सड़ जावै।।१ ।।
मिथ्याती पशु दानभावफल, भोग-भूमि सुरवास बसावै।।२ ।।
`द्यानत' गास अरध चौथाई, मन-वांछित विधि कब बनि आवै।।३ ।।
दियैं दान महा सुख पावै
कूप नीर सम घर धन जानौं, कढ़ैं बढ़ैं अकढ़ैं सड़ जावै।।१ ।।
मिथ्याती पशु दानभावफल, भोग-भूमि सुरवास बसावै।।२ ।।
`द्यानत' गास अरध चौथाई, मन-वांछित विधि कब बनि आवै।।३ ।।