वे प्राणी! सुज्ञानी, जिन जानी जिनवानी
From जैनकोष
वे प्राणी! सुज्ञानी, जिन जानी जिनवानी
चन्द सूर हू दूर करैं नहिं, अन्तरतमकी हानी।।वे. ।।१ ।।
पक्ष सकल नय भक्ष करत है, स्यादवादमें सानी।।वे.।।२ ।।
`द्यानत' तीनभवन-मन्दिरमें, दीवट एक बखानी।।वे.।।३ ।।