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- ...ss="GRef">सामायिक पाठ अमितगति 27</span>) (<span class="GRef"> समयसार नाटक/33</span>)।</p><br> ...164 KB (2,892 words) - 04:11, 17 February 2023
- ...ोप के कारण भगवान् ॠषभदेव ने प्रजा को असि मसि आदि षट्कर्मों का उपदेश दिया ।33-36 । उसे सीखकर शिल्पीजनों ने न ...43 KB (631 words) - 15:21, 27 November 2023
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:समयसार कलश - कलश 33 | पूर्व पृष्ठ ]] ...38 KB (62 words) - 10:21, 6 August 2021
- ...100 KB (1,663 words) - 22:35, 17 November 2023
- ...्ञान के विषय के अनंतवें भाग में होती है। <span class="GRef">( तत्त्वसार/1/33 )</span>। </span><br /> ...िसकी मति है वह ऋजुमति कहलाता है। <span class="GRef">( राजवार्तिक/1/23/-/83/33 )</span>; <span class="GRef">( धवला 13/5,5,/62/330/5 )</span>; <spa ...134 KB (2,121 words) - 09:40, 14 February 2024
- <span class="GRef">राजवार्तिक अध्याय 1/6,5/33/39,40,41,43</span> <p class="HindiText">घटत्व नामक धर ...123 KB (1,810 words) - 14:39, 27 November 2023
- ...75 KB (165 words) - 11:57, 17 May 2021
- ...571/25)</span>, <span class="GRef">(गोम्मटसार कर्मकाण्ड/जीवतत्व प्रदीपिका/33/27/8)</span>, (और भी दे./भव्य/2/5)</span></li> ...54 KB (971 words) - 15:15, 27 November 2023
- ...79 KB (1,441 words) - 15:25, 27 November 2023
- ...मरइ णेव संजमुवेइ तह देससंजमं वावि। सम्मामिच्छादिट्ठी ण उ मरणंतं समुग्घादो।33।</span> = <span class="HindiText">सम्यग्मिथ्याद ...147 KB (2,432 words) - 15:20, 27 November 2023
- ...समान निरालंबी व निर्लेप और सदाकाल परमपद का अन्वेषण करने वाले साधु होते हैं।33।</span></p> ...136 KB (2,673 words) - 15:30, 27 November 2023
- <span class="GRef">धवला 7/2, 1, 33/77/2</span> <span class="PrakritText"> इंदियविसयमइक ...157 KB (2,660 words) - 15:20, 27 November 2023
- ...207 KB (11,123 words) - 15:11, 27 November 2023
- ...32 )</span>, <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/33/27/2 )</span> । </span><br /> ...183 KB (3,655 words) - 15:15, 27 November 2023
- <span class="GRef"> राजवार्तिक 4/22/10/239/33 </span><span class="SanskritText">वैररागमोहविरह- ...126 KB (2,411 words) - 15:21, 27 November 2023
- ...चार बार=4×1=4 सागर। 2−7 पृथिवियों में आठ-आठ बार = 8×3+8×7+8×10+8×17+8×22+8×33 = 24+56+80+136+176+264 = 736 सागर। अन्तराल के ...65 KB (546 words) - 14:41, 27 November 2023
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:समयसार - गाथा 33 | पूर्व पृष्ठ ]] ...96 KB (88 words) - 16:35, 2 July 2021
- ...चार बार=4×1=4 सागर। 2−7 पृथिवियों में आठ-आठ बार = 8×3+8×7+8×10+8×17+8×22+8×33 = 24+56+80+136+176+264 = 736 सागर। अंतराल के त ...66 KB (666 words) - 14:49, 14 April 2024
- ...91 KB (1,799 words) - 17:09, 16 February 2024
- ...द्योत, उच्छ्वास, स्त्यानत्रिक, छह संस्थान, छह संहनन इन 33 के बिना सर्व 122-33 = 89 <td width="94" valign="top">33.</td> ...895 KB (59,165 words) - 14:40, 27 November 2023