Search results
- <p> <strong>(86) सत्य महाव्रत की तृतीय भावना ...21 KB (54 words) - 11:55, 17 May 2021
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:नियमसार - गाथा 86 | अगला पृष्ठ ]] ...25 KB (87 words) - 16:34, 2 July 2021
- <td width="115" valign="top"><p><span class="HindiText">86 </span></p></td> ...91 KB (8,800 words) - 15:25, 27 November 2023
- ...18 KB (143 words) - 11:55, 17 May 2021
- ...उत्पन्न होते हैं।2515। <span class="GRef">( जंबूद्वीपपण्णत्तिसंगहो/10/83 -86</span>)। </li> ...30 KB (358 words) - 15:20, 27 November 2023
- ...21 KB (51 words) - 11:56, 17 May 2021
- .../span>); (<span class="GRef">पंचास्तिकाय संग्रह / तात्पर्यवृत्ति / गाथा 43/86</span>)</p> .../span>); (<span class="GRef">पंचास्तिकाय संग्रह / तात्पर्यवृत्ति / गाथा 43/86/2</span>)</p> ...116 KB (1,966 words) - 10:01, 16 January 2024
- ...4/222-226)</span>; <span class="GRef">(पंचसंग्रह / संस्कृत अधिकार संख्या 4/86-91)</span>, <span class="GRef">(शतक 29-32)</span>; <span class="GRef" ...41 KB (840 words) - 14:40, 27 November 2023
- ...मत्तं सुणिम्मलं सुरगिरीव णिक्कंपं। तं जाणे ज्झाइज्जइ सावय! दुक्खक्खयट्ठाए ॥86॥ </p> ...119 KB (1,908 words) - 20:40, 17 February 2024
- ...े मोहसमूह क्षय हो जाता है, इसलिए शास्त्र का सम्यक् प्रकार से मन करना चाहिए।86।</span><br /> ...72 KB (1,613 words) - 15:21, 27 November 2023
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:नियमसार - गाथा 86 | पूर्व पृष्ठ ]] ...31 KB (109 words) - 16:34, 2 July 2021
- ...े बहुत्व की कथा (बढ़ा-चढ़ाकर कहना) की जाती है उसे लोक में स्तुति कहते हैं ।86। </span><br /> ...62 KB (1,311 words) - 17:46, 26 February 2024
- ...ext"> आत्मार्थ सुख आत्मानुभव रूप है। <span class="GRef"> (स्याद्वादमंजरी/8/86/1) </span></span></p> <span class="GRef"> स्याद्वादमंजरी/8/86/3 पर उद्धृत श्लोक</span><span class="SanskritTex ...86 KB (1,640 words) - 22:36, 17 November 2023
- ...="GRef"> हरिवंशपुराण/11/108-109 4 </span>. <span class="GRef"> महापुराण/83-86 </span></strong></p> <strong>3. <span class="GRef"> महापुराण/37/85-86 </span></strong></p> ...132 KB (11,542 words) - 22:21, 17 November 2023
- ...यागो मरणम्।13। अण्णाउगोदये वा मरदि य पुव्वाउणासे वा। (उद्धृत गाथा 1 पृष्ठ 86)। अथवा अनुभूयमानायु:संज्ञकप ...टीका/25/86/10,13 </span><span class="SanskritText">मरणानि सप्तदश कथितानि।(86/10)।– </span> ...147 KB (2,432 words) - 15:20, 27 November 2023
- ...। <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_10#86|हरिवंशपुराण - 10.86]] </span>देखें [[ अग्रायणीयपूर्व ]]< ...50 KB (1,154 words) - 18:58, 5 February 2024
- ...करते हैं <span class="GRef"> (राजवार्तिक/9/44/1/635/1), (धवला 13/5,4,26/83-86/12), (चारित्रसार/207/3)</span></span></p> ...58 KB (690 words) - 10:05, 1 August 2023
- <span class="GRef"> समयसार / आत्मख्याति/86/कलश 51 </span><span class="SanskritText"> य: परिणमति <span class="GRef"> समयसार / आत्मख्याति/86/कलश 51 </span> <span class="SanskritText">य: परिणामी ...144 KB (2,191 words) - 14:41, 27 November 2023
- <p class="HindiText"><span class="GRef">(पंचाध्यायी / पूर्वार्ध श्लोक 86)</span></p> ...104 KB (1,250 words) - 22:16, 17 November 2023
- ...69 KB (2,507 words) - 15:15, 27 November 2023