संभूत
From जैनकोष
(1) काशी नगरी का राजा । यह मुनि स्वतंत्रलिंग का शिष्य था । इसने अंत में दीक्षा ले ली थी तथा मरकर यह कमलगुल्म विमान में देव हुआ । स्वर्ग से चयकर इसका जीव कांपिल्य नगर में बारहवाँ चक्रवर्ती ब्रह्मदत्त हुआ । पद्मपुराण 20.191-192
(2) प्रथम नारायण-त्रिपृष्ठ का पूर्वभव का गुरु । महापुराण 20.216
(3) हरिवंशी राजा रत्नमाला का पुत्र और भूतदेव का पिता । पद्मपुराण 21.9
(4) राम के दीक्षागुरु । महापुराण 66.123
(5) विशाखनंदी और विश्वनंदी के दीक्षागुरु एक मुनि । महापुराण 57.77-78