इंद्रजित्
From जैनकोष
दशानन और मंदोदरी का पुत्र । इसका जन्म नाना के घर हुआ था । सुग्रीव के साथ युद्ध करके इसने उसे नागपाश से बाँध लिया था । इसके पश्चात् लक्ष्मण द्वारा यह भी बाँध लिया गया था । रावण का दाह-संस्कार करने के पश्चात पद्म सरोवर पर राम ने इसे बंधनमुक्त किया था । वनमाली इसी का पुत्र था । अनंतवीर्य मुनि से अपना पूर्वभव ज्ञात करके इसने उनसे दीक्षा ले ली थी । इसने अनेक ऋद्धियाँ प्राप्त की और अंत में ध्यान लीन होकर मुक्ति प्राप्त की । महापुराण 68. 518-624, पद्मपुराण 8 153-154, 60. 109, 70. 26, 78. 8-31, 63 -82, 80. 127-128, 118. 23