तेरी शांति छवि पे मैं बलि बलि जाऊँ
From जैनकोष
तेरी शांति छवि पे मैं बलि बलि जाऊँ ।
खुले नयन मारग आ दिल मैं बिठाऊँ ।।
लेखा ना देखा, धर्म पाप जोड़ा,
बना भोग लिप्सा कि चाहों में दौड़ा,
सहे दुख जो जो कहा लो सुनाऊँ - तेरी शांति... ।।तेरी ।।१ ।।
तेरा ज्ञान गौरव जो गणधर ने गाया,
वही गीत पावन मुझे आज भाया,
उसी के सुरों में सुनो मैं सुनाऊँ - तेरी शांति छवि. ।।तेरी ।।२ ।।
जगी आत्म ज्योति सम्यक्त्व तत्त्व की,
घटी है घटा शाम मिथ्या विकल की,
निजानन्द ``सौभाग्य सेहरा सजाऊँ-२ ।।तेरी।।३ ।।