मृषानंद
From जैनकोष
रौद्रध्यान का दूसरा भेद । झूठ बोलने में आनन्द मनाना मृषानन्द कहलाता है । कठोर वचन आदि इसके बाह्य चिह्न हैं । महापुराण 21. 50, हरिवंशपुराण 56.21, 23
रौद्रध्यान का दूसरा भेद । झूठ बोलने में आनन्द मनाना मृषानन्द कहलाता है । कठोर वचन आदि इसके बाह्य चिह्न हैं । महापुराण 21. 50, हरिवंशपुराण 56.21, 23