विषयोंदा मद भानै, ऐसा है कोई वे
From जैनकोष
विषयोंदा मद भानै, ऐसा है कोई वे ।।टेक ।।
विषय दु:ख अर दुखफल तिनको, यौं नित चित्त में ठानै ।।१ ।।
अनुपयोग उपयोग स्वरूपी, तन चेतनको मानै ।।२ ।।
वरनादिक रागादि भावतैं, भिन्न रूप तिन जानैं ।।३ ।।
स्वपर जान रुषराग हान, निजमें निज परनति सानै ।।४ ।।
अन्तर बाहर को परिग्रह तजि, `दौल' वसै शिवथानै ।।५ ।।