जिनवानी प्रानी! जान लै रे
From जैनकोष
जिनवानी प्रानी! जान लै रे
छहों दरब परजाय गुन सरब, मन नीके सरधान लै रे।।जिनवानी. ।।१ ।।
देव धरम गुरु निहचै धर उर, पूजा दान प्रमान लै रे।।जिनवानी.।।२ ।।
`द्यानत' जान्यो जैन बखान्यो, $ अक्षर मन आन लै रे।।जिनवानी.।।३ ।।