हम लागे आतमरामसों
From जैनकोष
हम लागे आतमरामसों
विनाशीक पुद्गलकी छाया, कौन रमै धन मानसों।।हम. ।।
समता सुख घटमें परगास्यो, कौन काज है कामसों ।
दुविधा-भाव जलांजुलि दीनौं, मेल भयो निज स्वामसों ।।हम. ।।१ ।।
भेदज्ञान करि निज परि देख्यौ, कौन विलोकै चामसौं ।
उरै परैकी बात न भावै, लो लाई गुणग्रामसौं ।।हम. ।।२ ।।
विकलप भाव रंक सब भाजे, झरि चेतन अभिरामसों ।
`द्यानत' आतम अनुभव करिकै, छूटे भव दुखधामसों ।।हम. ।।३ ।।