मानों मानों जी चेतन यह
From जैनकोष
मानों मानों जी चेतन यह
मानों मानों जी चेतन यह, विषै भोग छांड देहु,
विषै की समान कोऊ, नाहीं विष आन।।टेक ।।
तात मात पुत्र नार, नदी नाव ज्यों निहार,
जोवन गुमान जानों, चपला समान ।।मानांे. ।।१ ।।
हाथी रथ प्यादे बाज, इनसों न तेरो काज,
सुपने समान देख, कहा गरबान ।।मानांे. ।।२ ।।
ये तो देहके मिलापी, तू तो देहसों अव्यापी,
ज्ञान दृष्टि धर देखि, चेतिये सुजान ।।मानांे. ।।३ ।।