चेतन खेलै होरी
From जैनकोष
चेतन खेलै होरी
सत्ता भूमि छिमा वसन्तमें, समता प्रानप्रिया सँग गोरी।।चेतन. ।।
मनको माट प्रेमको पानी, तामें करुना केसर घोरी ।
ज्ञान ध्यान पिचकारी भरि भरि, आपमें छोरै होरा होरी।।१ ।।
गुरुके वचन मृदंग बजत हैं, नय दोनों डफ ताल टकोरी ।
संजम अतर विमल व्रत चोवा, भाव गुलाल भरै भर झोरी।।२ ।।
धरम मिठाई तप बहु मेवा, समरस आनँद अमल कटोरी ।
`द्यानत' सुमति कहै सखियनसों, चिरजीवो यह जुगजुग जोरी।।३ ।।