यक्ष
From जैनकोष
- यक्ष
धवला 13/5, 5, 140/391/9 लोभभूयिष्ठाः भांडागारे नियुक्ताः यक्षा: नाम। = जिनके लोभ की मात्रा अधिक होती है और जो भांडागार में नियुक्त किये जाते हैं, वे यक्ष कहलाते हैं।
- यक्षनामा व्यंतर देव के भेद
तिलोयपण्णत्ति/6/42 अहमणिपुण्ण सेलमणो भद्दा भद्दका सुभद्दा य। तह सव्वभद्दमाणुसघणपालसरूवजक्खक्खा।42। जक्खुत्तममणहरणा ताणं ये माणिपुण्णभद्दिंदा...।43। = माणिभद्र, पूर्णभद्र, शैलभद्र, मनोभद्र, भद्रक, सुभद्र, सर्वभद्र, मानुष, धनपाल, स्वरूपयक्ष, यक्षोत्तम और मनोहरण ये बारह यक्षों के भेद हैं।42। इनके माणिभद्र और पूर्णभद्र ये दो इंद्र हैं। ( त्रिलोकसार/265-266 )।
- अन्य संबंधित विषय
- व्यंतर देवों का एक भेद है।−देखें व्यंतर - 1।
- पिशाच जाति के देवों का एक भेद है।−देखें पिशाच ।
- छह दिशाओं के 6 रक्षक देव−विजय, वैजयंत, जयंत, अपराजित, अनावर्त, आवर्त। (प्रतिष्ठा सारोद्धार/3/196-201)।
- यक्षों का वर्ण, परिवार व अवस्थान आदि।−देखें व्यंतर ।
- तीर्थंकरों के 24 यक्षों के नाम।−देखें तीर्थंकर - 5।
- तीर्थंकरों की 24 यक्षिणियों के नाम।−देखें तीर्थंकर - 5।
- तीर्थंकरों के 24 शासक देवता।−देखें तीर्थंकर - 5।