अग्निल
From जैनकोष
काल के अंत में होने वाला अंतिम श्रावक । यह अयोध्या का निवासी होगा और इस काल के साढ़े आठ मास शेष रहने पर कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन प्रात: बेला में स्वाति नक्षत्र के उदयकाल में शरीर त्याग कर स्वर्ग में देव होगा । महापुराण 76.432-436