अर्थ वाद
From जैनकोष
न्यायदर्शन सूत्र/मूल/2/1/62, 64 विध्यर्थवादानुवादवचनविनियोगात्।62। स्तुतिर्निंदा परकृतिः पुरा-कल्प इत्यर्थवादः।64। = ब्राह्मण ग्रंथों का तीन प्रकार से विनियोग होता है - विधिवाक्य, अर्थवाक्य, अनुवादवाक्य।62। अर्थवाद चार प्रकार का है - स्तुति, निंदा, परकृति और पुराकल्प (इनके लक्षणों के लिए देखें स्तुति ) ; निंदा ; परकृति ; पुराकल्प ।64।
अधिक जानकारी के लिए देखें वाक्य