आकुलरहित होय इमि निशदिन
From जैनकोष
आकुलरहित होय इमि निशदिन, कीजे तत्त्वविचारा हो ।
को मैं कहा रूप है मेरा, पर है कौन प्रकारा हो ।।टेक ।।
को भव-कारण बंध कहा को, आस्रव रोकनहारा हो ।
खिपत कर्मबंधन काहेसों, थानक कौन हमारा हो ।।१ ।।
इमि अभ्यास किये पावत हैं, परमानंद अपारा हो ।
`भागचन्द' यह सार जान करि, कीजै बारंबारा हो ।।२ ।।