काल अचानक ही ले जायगा
From जैनकोष
(राग तिताला)
काल अचानक ही ले जायगा,
गाफिल होकर रहना क्या रे ।।काल. ।।टेक ।।
छिन हूँ तोकूं नाहिं बचावै, तौ सुभटनका रखना क्या रे ।।१ ।।काल. ।।
रंच स्वाद करिनके काजै, नरकनमें दुख भरना क्या रे ।
कुलजन पथिकनि के हितकाजै, जगत जाल में परना क्या रे ।।२ ।।काल. ।।
इंद्रादिक कोउ नाहिं बचैया, और लोकका शरना क्या रे ।
निश्चय हुआ जगतमें मरना, कष्ट परै तब डरना क्या रे ।।३ ।।काल. ।।
अपना ध्यान करत खिर जावै, तौ करमनिका हरना क्या रे ।
अब हित करि आरत तजि बुधजन, जन्म जन्ममें जरना क्या रे ।।४ ।।काल. ।।