कींपर करो जी गुमान
From जैनकोष
(राग-सोरठ)
कींपर करो जी गुमान, थे तो कै दिनका मिजमान ।।कींपर. ।।टेक ।।
आये कहांतैं कहाँ जावोगे, ये उर राखौं ज्ञान ।।१ ।।कींपर. ।।
नारायण बलभद्र चक्रवर्ति, नाना रिद्धिनिधान ।
अपनी-अपनी बारी भुगतिर, पहुँचे परभव थान ।।२ ।।कींपर. ।।
झूठ बोलि माया चारीतैं, मति पीड़ो पर प्रान ।
तन धन दे अपने वश बुधजन, करि उपगार जहान ।।३ ।।कींपर. ।।