ग्रन्थ:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 62 - समय-व्याख्या
From जैनकोष
कम्मं कम्मं कुव्वदि जदि सो अप्पा करेदि अप्पाणं । (62)
किह तस्स फलं भुंजदि अप्पा कम्मं च देदि फलं ॥69॥
अर्थ:
यदि कर्म कर्म को करता है और वह आत्मा आत्मा को करता है तो आत्मा उसका फल क्यों भोगता है? और कर्म उसे फल क्यों देता है?
समय-व्याख्या:
कर्मजीवयोरन्योन्याकर्तृत्वेऽन्यदत्तफलान्योपभोगलक्षणदूषणपुरस्सर: पूर्वपक्षोऽयम् ॥६२॥
समय-व्याख्या हिंदी :
यदि कर्म और जीव को अन्योन्य अकर्ता-पना हो, तो 'अन्य का दिया हुआ फल अन्य भोगे' ऐसा प्रसंग आएगा; -- ऐसा दोष बतलाकर यहाँ पूर्व-पक्ष उपस्थित किया गया है ॥६२॥