जिनबानी के सुनैसौं मिथ्यात मिटै
From जैनकोष
जिनबानीके सुनैसौं मिथ्यात मिटै ।
मिथ्यात मिटै समकित प्रगटै ।।जिनबानी. ।।टेक ।।
जैसैं प्रात होत रवि ऊगत, रैन तिमिर सब तुरत फटै ।।१ ।।जिनबानी. ।।
अनादि कालकी भूलि मिटावै, अपनी निधि घट घटमैं उघटे ।
त्याग विभाव सुभाव सुधारै, अनुभव करतां करम कटै ।।२ ।।जिनबानी. ।।
और काम तजि सेवो याकौं, या बिन नाहिं अज्ञान घटै ।
बुधजन याभव परभव मांहीं, बाकी हुंडी तुरत पटे ।।३ ।।जिनबानी. ।।