ज्ञानोपयोग
From जैनकोष
जीव के स्वरूप का एक अंग । यह वस्तु को भेदपूर्वक ग्रहण करता है । इसके मतिज्ञान आदि आठ भेद होते हैं । महापुराण 24.101, पद्मपुराण - 105.147-148
जीव के स्वरूप का एक अंग । यह वस्तु को भेदपूर्वक ग्रहण करता है । इसके मतिज्ञान आदि आठ भेद होते हैं । महापुराण 24.101, पद्मपुराण - 105.147-148