द्रव्य पर्याय
From जैनकोष
पंचास्तिकाय / तात्पर्यवृत्ति/16/35/12 द्विधा पर्याया द्रव्यपर्याया गुणपर्यायाश्च। = पर्याय दो प्रकार की होती हैं - द्रव्य पर्याय और गुणपर्याय।
प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका/92 तत्रानेकद्रव्यात्मकैक्यप्रतिपत्तिनिबंधनो द्रव्यपर्यायः। = अनेक द्रव्यात्मक एकता की प्रतिपत्ति की कारणभूत द्रव्य पर्याय है।
पंचाध्यायी / पूर्वार्ध/135 यतरे प्रदेशभागास्ततरे द्रव्यस्य पर्यया नाम्ना। 135। = द्रव्य के जितने प्रदेश रूप अंश हैं, उतने वे सब नाम से द्रव्यपर्याय हैं।
अधिक जानकारी के लिये देखें पर्याय - 1।