बहुश्रुत भक्ति
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
देखें भक्ति - 2.1
पुराणकोष से
अनेक शास्त्रों के ज्ञाता आचार्य और उपाध्याय परमेष्ठी में तथा आगम में, मन, वचन और कार्य से भावों को शुद्धतापूर्वक श्रद्धा रखना । महापुराण 63. 327, हरिवंशपुराण - 34.141
देखें भक्ति - 2.1
अनेक शास्त्रों के ज्ञाता आचार्य और उपाध्याय परमेष्ठी में तथा आगम में, मन, वचन और कार्य से भावों को शुद्धतापूर्वक श्रद्धा रखना । महापुराण 63. 327, हरिवंशपुराण - 34.141