भववनमें, नहीं भूलिये भाई!
From जैनकोष
भववनमें, नहीं भूलिये भाई । कर निज थलकी याद ।।टेक ।।
नर परजाय पाय अति सुंदर, त्यागहु सकल प्रमाद ।
श्रीजिनधर्म सेय शिव पावत, आतम जासु प्रसाद ।।१ ।।
अबके चूकत ठीक न पड़सी, पासी अधिक विषाद ।
सहसी नरक वेदना पुनि तहाँ, सुनसी कौन फिराद ।।२ ।।
`भागचन्द' श्रीगुरु शिक्षा बिन, भटका काल अनाद ।
तू कर्ता तूही फल भोगत, कौन करै बकवाद ।।३ ।।