योगसार - अजीव-अधिकार गाथा 69
From जैनकोष
परमाणु का लक्षण -
द्रव्यमात्मादिमध्यान्तमविभागमतीन्द्रियम् ।
अविनाश्यग्निशस्त्राद्यै: परमाणुरुदाहृतम् ।।६९।।
अन्वय :- आत्मा-आदि-मध्य-अन्तं, अविभागं, अतीन्द्रियं, अग्नि-शस्त्राद्यै: अविनाशि द्रव्यं परमाणु: उदाहृतम् ।
सरलार्थ :- जो स्वयं आदि, मध्य और अन्तरूप है अर्थात् जिसका आदि, मध्य और अन्त एक-दूसरे से भिन्न नहीं हैं; जिसका विभाजन खण्ड अथवा अंशविकल्प नहीं हो सकता; जो इन्द्रियों द्वारा ग्राह्य नहीं है और जो अग्नि-शस्त्र आदि से नाश को प्राप्त नहीं हो सकता - ऐसा पुद्गलरूप द्रव्य परमाणु कहा गया है ।