योगसार - चारित्र-अधिकार गाथा 416
From जैनकोष
मांस के साथ निगोदी जीवों का संबंध -
पक्वेsपक्वे सदा मांसे पच्यमाने च संभव: ।
तज्जातीनां निगोदानां कथ्यते जिनपुङ्गवै: ।।४१६।।
अन्वय :- पक्वे, अपक्वे च पच्यमाने मांसे जिनपुङ्गवै: तज्जातीनां निगोदानां सदा संभव: कथ्यते ।
सरलार्थ :- मांस चाहे कच्चा हो, चाहे आग से पकाया गया हो, चाहे आग पर पक रहा हो - तीनों प्रकार के उस मांस में जिनेन्द्र देवों ने जिस जीव का मांस है - उस ही जाति के निगोदिया जीव जो एक श्वांस में अठारह बार जन्म-मरण करते हुए निरन्तर उत्पन्न होते रहते हैं ।