योगसार - चारित्र-अधिकार गाथा 419
From जैनकोष
अन्य भी अनेक अभक्ष्य पदार्थ -
कन्दो मूलं फलं पत्रं नवनीतमगृघ्नुभि: ।
अनेषणीयमग्राह्यमन्नमन्यदपि त्रिधा ।।४१९।।
अन्वय :- अगृघ्नुभि: (साधुभि:) कन्द: मूलं फलं पत्रं नवनीतं अन्यत् अपि अग्राह्यं अन्नं त्रिधा (त्याज्यं भवति) ।
सरलार्थ :- भोजन में लालसा रहित साधु कन्द, मूल, फल, फूल, पत्र, मक्खन आदि अभक्ष्य पदार्थ एवं उद्गमादि दोषों से दूषित होने से अग्राह्य ऐसे अन्न/भोजनादि का भी मन-वचन-काय से और कृत-कारित-अनुोदना से त्याग करते हैं ।