योगसार - चारित्र-अधिकार गाथा 440
From जैनकोष
बुद्धिपूर्वक कार्य का फल -
बुद्धिपूर्वाणि कर्माणि समस्तानि तनूभृताम् ।
संसारफलदायीनि विपाकविरसत्वत: ।।४४०।।
अन्वय :- तनूभृतां बुद्धिपूर्वाणि समस्तानि कर्माणि विपाकविरसत्वत: (भवन्ति । तत: तानि) संसारफलदायीनि (एव सन्ति) ।
सरलार्थ :- बुद्धिपूर्वक कार्य अर्थात् इंद्रियों के निमित्त से होनेवाले सब कार्य फलकाल में विभावरूप से व्यक्त होते हैं; इसलिए देहधारी जीवों के वे सर्व कार्य संसार-फलदाता ही है ।