योगसार - निर्जरा-अधिकार गाथा 253
From जैनकोष
निर्जरा का लक्षण और भेद -
पूर्वोपार्जित-कर्मैक-देश-संक्षय-लक्षणा ।
निर्जरा जायते द्वेधा पाकजापाकजात्वत: ।।२५३।।
अन्वय :- पूर्व-उपार्जित-कर्म-एकदेश-संक्षय-लक्षणा निर्जरा; (या) पाकजा- अपाकजात्वत: द्विधा जायते ।
सरलार्थ :- पूर्व अर्थात् पहले/भूतकालीन जीवन में बन्धे हुए ज्ञानावरणादि द्रव्य कर्मो का आंशिक विनाश हो जाना जिसका लक्षण है, उसे निर्जरा कहते हैं; उसके पाकजा निर्जरा और अपाकजा निर्जरा इसतरह दो भेद हैं ।