योगसार - मोक्ष-अधिकार गाथा 311
From जैनकोष
आत्मा का स्वरूप ज्ञान है -
विभावसोरिवोष्णत्वं चरिष्णोरिव चापलम् ।
शशाङ्कस्येव शीतत्वं स्वरूपं ज्ञानमात्मन: ।।३११।।
अन्वय :- विभावसो: उष्णत्वं इव, चरिष्णो: चापलं इव शशाङ्कस्य (च) शीतत्त्वं इव ज्ञानं आत्मन: स्वरूपं (अस्ति )।
सरलार्थ :- जिसप्रकार सूर्य का स्वरूप उष्णपना, वायु का स्वरूप चंचलपना और चन्द्रमा का स्वरूप शीतलपना है; उसीप्रकार आत्मा का स्वरूप ज्ञान है ।