योगसार - मोक्ष-अधिकार गाथा 343
From जैनकोष
आत्मध्यान की बाह्य सामग्री -
उत्साहो निश्चयो धैर्यं संतोषस्तत्त्वदर्शनम् ।
जनपदात्यय: षोढा सामग्रीयं बहिर्भवा ।।३४३।।
अन्वय :- उत्साह:, निश्चय:, धैर्यं, सन्तोष:, तत्त्वदर्शनं, (च) जनपदात्यय: इयं षोढा बहिर्भवा सामग्री (अस्ति) ।
सरलार्थ :- अध्यात्मचिंतन अर्थात् निज शुद्धात्मध्यान के लिये उत्साह, निश्चय अर्थात् स्थिर विचार, धैर्य, संतोष, तत्त्वदर्शन, जनपद-त्याग अर्थात् सामान्यजनों से संपर्क का त्याग यह छह प्रकार की बाह्य सामग्री है ।