रत्नपुर
From जैनकोष
(1) विदेहक्षेत्र का एक नगर । यहाँ विद्याघर पुष्पोत्तर रहता था । राजा विद्यांग के पुत्र विद्यासमुद्घात यहाँ के नृप थे । राम और लक्ष्मण के समय यहाँ राजा रत्नरथ था । (पद्मपुराण - 6.7, 390, 93. 22)
(2) भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का एक नगर । सुलोचना के शील का परीक्षा के लिए सौधर्म स्वर्ग से आयी देवी ने जयकुमार को अपना परिचय देते हुए स्वयं को इस नगर के राजा की पुत्री बताया था । (महापुराण 47.261-262), (पांडवपुराण 3. 263-264)
(3) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र का एक नगर । यहाँ राजा मधु जन्मे थे । तीर्थंकर धर्मनाथ ने भी यहाँ जन्म लिया था । (महापुराण 59. 88, 61. 13, 19, 62.328), (पद्मपुराण - 20.51)
(4) पुष्करार्द्ध द्वीप के वत्सकावती देश का एक नगर । तीसरे पूर्वभव में तीर्थंकर वासुपूज्य यहाँ के राजा थे । इस पर्याय में उनका नाम पद्मोत्तर था । (महापुराण 58.2-4)
(5) जंबूद्वीप के ऐरावत क्षेत्र का एक नगर । भद्र और धन्य दोनों भाई बैल के निमित्त से परस्पर लड़कर यहाँ मारे गये थे । (महापुराण 63. 157-159)
(6) विजयार्ध की उत्तरश्रेणी का साठवाँ नगर । (महापुराण 19.87)
(7) मलयदेश का एक नगर । बलभद्र राम तीसरे पूर्वभव में इसी नगर के राजा प्रजापति के पुत्र चंद्रचूल थे । (महापुराण 67.90-91, 148-149)