शची
From जैनकोष
इंद्र की पटरानी । यह तीर्थंकर के जन्मोत्सव के समय गर्भगृह में जाकर और तीर्थंकर को गर्भगृह से बाहर लाकर जन्माभिषेक हेतु इंद्र को देती हैं । महापुराण 13. 39, 46.257, पद्मपुराण - 7.28
इंद्र की पटरानी । यह तीर्थंकर के जन्मोत्सव के समय गर्भगृह में जाकर और तीर्थंकर को गर्भगृह से बाहर लाकर जन्माभिषेक हेतु इंद्र को देती हैं । महापुराण 13. 39, 46.257, पद्मपुराण - 7.28