समंजस
From जैनकोष
राजा का एक भेद । मध्यस्थ रहकर निष्पक्ष भाव हैं मित्र और शत्रु सभी को निरपराधी बनाने की इच्छा से सब पर समान दृष्टि रखने वाला राजा । महापुराण 42.200-201
राजा का एक भेद । मध्यस्थ रहकर निष्पक्ष भाव हैं मित्र और शत्रु सभी को निरपराधी बनाने की इच्छा से सब पर समान दृष्टि रखने वाला राजा । महापुराण 42.200-201