समंजसत्व
From जैनकोष
राजा का एक गुण । यह गुण जिस राजा में होता है वह दुष्ट पुरुषों का निग्रह और शिष्ट पुरुषों का अनुग्रह करता है । पक्षपात रहित होकर सबको समान मानता है । निग्रह करने योग्य शत्रु और मित्र दोनों का समान रूप से निग्रह करता है और इस प्रकार इष्ट और दुष्ट दोनों को निरपराधी बनाने को इच्छा करता है । मध्यस्थ रहना उसे इष्ट लगता है । महापुराण 38.281, 42.198-201