सांशयिक मिथ्यात्व
From जैनकोष
सर्वार्थसिद्धि/8/1/375/7 सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि किं मोक्षमार्ग: स्याद्वा न वेत्यन्यतरपक्षापरिग्रह: संशय:। =सम्यग्दर्शन, ज्ञान और चारित्र, ये तीनों मिलकर मोक्षमार्ग है या नहीं, इस प्रकार किसी एक पक्ष को स्वीकार नहीं करना संशय मिथ्यादर्शन है।
अधिक जानकारी के लिये देखें संशय ।