सागरसेना
From जैनकोष
विदेहक्षेत्र की पुंडरीकिणी नगरी के सेठ सागरसेन की छोटी बहिन । इसकी 2 संताने थी― एक पुत्र और एक पुत्री । पुत्र वैश्रवणदत्त और पुत्री वैश्रवणदत्ता थी । महापुराण 47. 191, 196-197
सागरावर्त― देवों से रक्षित एक धनुष । चंद्रगति विद्याघर ने लक्ष्मण को यह धनुष चढ़ाकर अपनी शक्ति बताने के लिए कहा था । लक्ष्मण ने भी इस धनुष को चढ़ाकर उसका मानभंग किया था । देवों ने पुष्पवृष्टि की थी । इसी शक्ति को देखकर चंद्रवर्द्धन विद्याधर ने लक्ष्मण को अपनी अठारह पुत्रियाँ दी थी । अंत में यह धनुष लक्ष्मण ने अपने भाई शत्रुघ्न को दे दिया था । पद्मपुराण - 28.169-170, 247-250, 89.35