हंस
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
- परमात्मप्रकाश टीका/2/170 अनंतज्ञानादिनिर्मलगुणयोगेन हंस इव हंस परमात्मा। = अनंतज्ञानादि निर्मल गुण सहित हंस के समान उज्ज्वल परमात्मा हंस हैं।
- परमहंस के अपर नाम-देखें मोक्षमार्ग - 2.5।
पुराणकोष से
एक द्वीप । यह लंका द्वीप के समीप था । यहाँ समस्त ऋद्धियाँ और भोग उपलब्ध थे । वन-उपवन से यह विभूषित था । राम ने लंका में प्रवेश करने के पूर्व यहाँ ससैन्य विश्राम किया था । पद्मपुराण - 48.115,पद्मपुराण - 48.54-76