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19:17, 30 January 2023 | नि शंकित अंग अंजन चोर.jpeg (file) | 670 KB | source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/8-Ang-Ki-Kathaye.aspx सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 1. नि:शंकित अंग/पहला पैर, जिनेन्द्र भगवान के द्वारा कहे गये वचनों में सन्देह नहीं करना नि:शंकित अंग है। नि:शंकित अंग पहला पैर है।जब हम चलना चाहते हैं तो बिना किसी शंका के पूरे उत्साह के साथ पहला कदम रखते हैं।उसी प्रकार सबसे पहले जो शंका और भय से रहित होकर धर्म क्षेत्र में प्रवृत्त होता है उसी का नाम नि:शंकित अंग है। निशंकित अंग में अंजन चोर प्रसिद्द हुआ। | 1 | |
19:13, 30 January 2023 | नि कांक्षित अंग सती अनन्तमती.jpeg (file) | 613 KB | source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-14.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 2. नि:कांक्षित अंग/पिछला पैर:- धर्म को धारण करके संसार के सुखों की वांछा( इच्छा) नहीं करना नि:कांक्षित अंग है। हमारा पिछला पैर नि:कांक्षित अंग है।जैसे हम पहला पैर शंकारहित होकर रखते हैं वैसे ही पिछला पैर बिना किसी आकांक्षा के उपेक्षा से हटाते हैं।इसी प्रकार सम्यग्दृष्टि पुरुष मोक्षमार्ग में बिना किसी आकांक्षा के आगे बढता जाता है। निःकांक्षित अंग में अनन्तमती प्रसिद्द... | 1 | |
12:54, 30 January 2023 | निर्विचिकित्सा अंग राजा उद्दायन.jpeg (file) | 614 KB | source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-13.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 3. निर्विचिकित्सा अंग/बाँया हाथ:- मुनियों के मैले शरीर को देखकर ग्लानि नहीं करना निर्विचिकित्सा अंग है। हमारा बाँया हाथ निर्विचिकित्सा अंग है। मनुष्य बाँये हाथ से बिना किसी ग्लानि के अपना मल धोता है।उसी प्रकार सम्यग्दृष्टि मनुष्य स्वभाव से अपवित्र होते हुए भी रत्नत्रय से पवित्र सन्तों से ग्लानि नहीं करता। निर्विचिकित्सा अंग में राजा उद्दायन प्रसिद्द हुए। | 1 | |
12:52, 30 January 2023 | अमूढदृष्टि अंग रेवती रानी.jpeg (file) | 650 KB | source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-12.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 4. अमूढदृष्टि अंग/दाहिना हाथ :- साँचे और झूठे तत्वों की पहचान कर मूढताओं में नहीं फँसना अमूढदृष्टि अंग है। हमारा दाहिना हाथ अमूढदृष्टि अंग है।किसी बात को दृढता पूर्वक महिमा मण्डित करने के लिये हम दाहिना हाथ ही उठाते हैं -उसी प्रकार धर्म क्षेत्र में भी यही है,ऐसा ही है,अन्य नहीं -इस प्रकार की दृढता का सूचक अमूढदृष्टि अंग हमारे दाहिने हाथ के समान है। अमूढ़दृष्टि अंग में... | 1 | |
12:51, 30 January 2023 | उपगूहन अंग जिनेन्द्रभक्त सेठ.jpeg (file) | 613 KB | source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-11.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 5. उपगूहन अंग/ नितम्ब :- अपने गुणों को और पर के अवगुणों को प्रकट नहीं करना और अपने धर्म को बताना उपगूहन अंग है। हमारे शरीर में नितम्ब उपगूहन अंग की तरह है।हम नितम्ब को ढककर रखते हैं -अनावृत नहीं करते क्योंकि ऐसा करना लज्जाजनक है।इसी प्रकार ज्ञानी जन दूसरों के दोषों को प्रकट नहीं करते। जिनेन्द्रभक्त सेठ उपगूहन अंग में प्रसिद्द हुए। | 1 | |
12:49, 30 January 2023 | स्थितिकरण अंग वारिषेण मुनिराज.jpeg (file) | 613 KB | source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-10.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 6. स्थितिकरण अंग/ पीठ :- काम- विकार आदि के कारण धर्म से भ्रष्ट होते हुए को फिर से धर्म में स्थित कर देना स्थितिकरण अंग है। हमारी पीठ स्थितिकरण अंग की भाँति है।जिस प्रकार हम पीठ पर अधिकतम बोझा रखकर उसे नीचे गिरने नहीं देते -उसी प्रकार सम्यग्दृष्टि भी स्व तथा पर को धर्म में स्थित करके रखता है तथा उसे नीचे गिरने नहीं देता है। स्थितिकरण अंग में वारिषेण मुनि प्रसिद्द हुए। | 1 | |
12:47, 30 January 2023 | वात्सल्य अंग विष्णुकुमार मुनि.jpeg (file) | 663 KB | source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-9.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 7. वात्सल्य अंग/हृदय :- अपने सहधर्मियों से बछड़े पर गाय के प्रेम के समान निष्कपट प्रेम करना वात्सल्य अंग है। हमारे शरीर का हृदय वात्सल्य अंग की भाँति है।जिसके हृदय में धर्मात्माओं के प्रति अनुराग होता है वही वात्सल्य अंग का धारक होता है। वात्सल्य अंग में विष्णुकुमार मुनि प्रसिद्द हुए। | 1 | |
12:45, 30 January 2023 | प्रभावना अंग वज्रकुमार मुनि.jpeg (file) | 676 KB | source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-8.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 8.प्रभावना अंग/ मस्तक :- जैन धर्म का प्रचार करते हुए अपनी आत्मा को रत्नत्रय से सुशोभित करना, सजाना प्रभावना अंग है। हमारा सिर अंग प्रभावना अंग की तरह है।जैसे शरीर में हमारे चेहरे का,मस्तक का प्रभाव पड़ता है वैसे ही धर्म की प्रभावना से दूसरों पर प्रभाव पड़ता है।प्रभावना अंग में वज्रकुमार मुनि प्रसिद्द हुए। | 1 | |
12:43, 30 January 2023 | सम्यग्दर्शन के आठ अंग 3.jpg (file) | 201 KB | source: https://nikkyjain.github.io/jainDataBase/poojas/07_%E0%A4%9B%E0%A4%B9%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE/02_%E0%A4%9B%E0%A4%B9%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE--%E0%A4%AA%E0%A4%82-%E0%A4%A6%E0%A5%8C%E0%A4%B2%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE/images/3.12.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार | 1 | |
12:41, 30 January 2023 | सम्यग्दर्शन के आठ अंग 2.jpeg (file) | 54 KB | source: https://nikkyjain.github.io/jainDataBase/poojas/07_%E0%A4%9B%E0%A4%B9%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE/02_%E0%A4%9B%E0%A4%B9%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE--%E0%A4%AA%E0%A4%82-%E0%A4%A6%E0%A5%8C%E0%A4%B2%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE/images/3.11.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार | 1 | |
12:39, 30 January 2023 | सम्यग्दर्शन के आठ अंग.jpg (file) | 107 KB | source: https://vidyasagarmedia.s3.us-east-2.amazonaws.com/monthly_2020_10/1933056985_sakriyasamyakdarshan-1.thumb.jpg.965e042093184f9607d4bdaf34eb0cea.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार | 1 | |
14:57, 22 November 2022 | १०. उत्तम ब्रह्मचर्य.jpg (file) | 215 KB | दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम ब्रह्मचर्य, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, ब्रह्मचर्य: विषय सेवन व यौन भावों को मन वचन काम से छोड़ना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/27227968499/in/album-72157661525137157/ | 1 | |
14:57, 22 November 2022 | ९ . उत्तम अकिंचन.jpg (file) | 282 KB | दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम अकिंचन, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, आकिंचन: परिग्रह का त्याग करना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969173472/in/album-72157661525137157/ | 1 | |
14:56, 22 November 2022 | ८. उत्तम त्याग.jpg (file) | 191 KB | दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम त्याग, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, त्याग: त्याग करना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/25134730138/in/album-72157661525137157/ | 1 | |
14:48, 22 November 2022 | ७. उत्तम तप.jpg (file) | 203 KB | दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम क्षमा, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, तप: इच्छायें छोड़ना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969171962/in/album-72157661525137157/ | 1 | |
14:46, 22 November 2022 | ६. उत्तम संयम.jpg (file) | 202 KB | दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम क्षमा, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, संयम: इन्द्रियों व मन को वश में करना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/27227967689/in/album-72157661525137157/ | 1 | |
14:43, 22 November 2022 | ५. उत्तम शौच.jpg (file) | 323 KB | दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम क्षमा, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, शौच: लोभ नहीं करना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/25134731918/in/album-72157661525137157/ | 1 | |
14:41, 22 November 2022 | ४. उत्तम सत्य.jpg (file) | 322 KB | दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम क्षमा, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, सत्य: सत्य वचन बोलना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969172052/in/album-72157661525137157/ | 1 | |
14:35, 22 November 2022 | ३ . उत्तम आर्जव.jpg (file) | 217 KB | दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम क्षमा, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, आर्जव: कपट नहीं करना, माया कपट छोडना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969173282/in/album-72157661525137157/ | 1 | |
14:34, 22 November 2022 | २. उत्तम मार्दव.jpg (file) | 321 KB | दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम क्षमा, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, मार्दव: मान नहीं करना, अहं छोडना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969173082/in/album-72157661525137157/ | 1 | |
14:30, 22 November 2022 | १. उत्तम क्षमा.jpg (file) | 403 KB | दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम क्षमा, ऋषि पंचमी, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, क्षमा: शांत तथा समता भाव से अपने आप में क्लेश ना होने देना व क्रोध छोड़ना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969172652/in/album-72157661525137157/ | 1 | |
14:29, 22 November 2022 | Daslakshan-Parv.jpeg (file) | 129 KB | दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, मोक्ष को पाने का मागॅ source: https://i.ytimg.com/vi/YbrO-vEu8Ks/maxresdefault.jpg | 1 | |
20:21, 15 October 2022 | 12. धर्म भावना.jpg (file) | 282 KB | 12. धर्म भावना, बारह भावना, जैन धर्म में बारह प्रकार कि भावना का वर्णन हैं जो आत्मा को धर्म का दर्शन कराती है source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/27228198249/in/album-72157690251113164// | 1 | |
20:21, 15 October 2022 | 11. बोधि दुर्लभ भावना.jpg (file) | 354 KB | 11. बोधि दुर्लभ भावना, बारह भावना, जैन धर्म में बारह प्रकार कि भावना का वर्णन हैं जो आत्मा को धर्म का दर्शन कराती है source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969478062/in/album-72157690251113164/ | 1 | |
20:20, 15 October 2022 | 10. लोक भावना.jpg (file) | 276 KB | 10. लोक भावना, बारह भावना, जैन धर्म में बारह प्रकार कि भावना का वर्णन हैं जो आत्मा को धर्म का दर्शन कराती है source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38118549245/in/album-72157690251113164/ | 1 | |
20:17, 15 October 2022 | 9. निर्जरा भावना.jpg (file) | 356 KB | 9. निर्जरा भावना, बारह भावना, जैन धर्म में बारह प्रकार कि भावना का वर्णन हैं जो आत्मा को धर्म का दर्शन कराती है source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969476662/in/album-72157690251113164/ | 1 | |
20:16, 15 October 2022 | 8. संवर भावना.jpg (file) | 329 KB | 8. संवर भावना, बारह भावना, जैन धर्म में बारह प्रकार कि भावना का वर्णन हैं जो आत्मा को धर्म का दर्शन कराती है source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969477152/in/album-72157690251113164/ | 1 | |
20:15, 15 October 2022 | 7. आश्रव भावना.jpg (file) | 345 KB | 7. आश्रव भावना, बारह भावना, जैन धर्म में बारह प्रकार कि भावना का वर्णन हैं जो आत्मा को धर्म का दर्शन कराती है source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38118550215/in/album-72157690251113164/ | 1 | |
20:15, 15 October 2022 | 6. अशुचि भावना.jpg (file) | 281 KB | 6. अशुचि भावना, बारह भावना, जैन धर्म में बारह प्रकार कि भावना का वर्णन हैं जो आत्मा को धर्म का दर्शन कराती है source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/27228198699/in/album-72157690251113164/ | 1 | |
20:14, 15 October 2022 | 5. अन्यत्व भावना.jpg (file) | 292 KB | 5. अन्यत्व भावना, बारह भावना, जैन धर्म में बारह प्रकार कि भावना का वर्णन हैं जो आत्मा को धर्म का दर्शन कराती है source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/27228199769/in/album-72157690251113164/ | 1 | |
20:13, 15 October 2022 | 4. एकत्व भावना.jpg (file) | 242 KB | 4. एकत्व भावना, बारह भावना, जैन धर्म में बारह प्रकार कि भावना का वर्णन हैं जो आत्मा को धर्म का दर्शन कराती है source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969476932/in/album-72157690251113164/ | 1 | |
20:12, 15 October 2022 | 3. संसार भावना.jpg (file) | 284 KB | 3. संसार भावना, बारह भावना, जैन धर्म में बारह प्रकार कि भावना का वर्णन हैं जो आत्मा को धर्म का दर्शन कराती है source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38118549115/in/album-72157690251113164/ | 1 | |
20:12, 15 October 2022 | 2. अशरण भावना.jpg (file) | 377 KB | 2. अशरण भावना, बारह भावना, जैन धर्म में बारह प्रकार कि भावना का वर्णन हैं जो आत्मा को धर्म का दर्शन कराती है source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969479462/in/album-72157690251113164/ | 1 | |
20:11, 15 October 2022 | 1. अनित्य भावना.jpg (file) | 266 KB | 1. अनित्य भावना, बारह भावना, जैन धर्म में बारह प्रकार कि भावना का वर्णन हैं जो आत्मा को धर्म का दर्शन कराती है source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38118550355/in/album-72157690251113164/ | 1 | |
13:42, 12 October 2022 | 16 सूखे जीर्ण पत्ते देखे.jpg (file) | 21 KB | सूखे जीर्ण पत्ते देखे, इसका फल है कि पंचम काल में अन्न व ओषधियाँ नीरस होगी।, भरत चक्रवर्ती के स्वप्न, 16 स्वप्न, पंचम काल में इस भरत क्षेत्र में कैसा धर्म रहेगा source: jinswara | 1 | |
13:41, 12 October 2022 | 15 पत्तेरहित सूखा वृक्ष देखा.jpg (file) | 25 KB | पत्तेरहित सूखा वृक्ष देखा, इसका फल है कि पंचम काल के मनुष्य शीलव्रत धारण करके भी कुशील आचरण करेंगे।, भरत चक्रवर्ती के स्वप्न, 16 स्वप्न, पंचम काल में इस भरत क्षेत्र में कैसा धर्म रहेगा source: jinswara | 1 | |
13:41, 12 October 2022 | 14 सूर्य मेघो से घिरा है.jpg (file) | 25 KB | सूर्य मेघो से घिरा है, इसका फल है कि पंचम काल में मुनियों को केवलज्ञान नहीं होगा।, भरत चक्रवर्ती के स्वप्न, 16 स्वप्न, पंचम काल में इस भरत क्षेत्र में कैसा धर्म रहेगा source: jinswara | 1 | |
13:40, 12 October 2022 | 13 बैल दहाड़ रहे है.jpg (file) | 25 KB | बैल दहाड़ रहे है, इसका फल है कि पंचम काल में मुनि एकलविहारी स्वछंद आचरण करेंगे। , भरत चक्रवर्ती के स्वप्न, 16 स्वप्न, पंचम काल में इस भरत क्षेत्र में कैसा धर्म रहेगा source: jinswara | 1 | |
13:40, 12 October 2022 | 12 शाखा सहित चन्द्रमा देखा.jpg (file) | 24 KB | शाखा सहित चन्द्रमा देखा, इसका फल है कि पंचम काल में अवधि एवं मन:पर्याय ज्ञानी मुनि नहीं होंगे ।, भरत चक्रवर्ती के स्वप्न, 16 स्वप्न, पंचम काल में इस भरत क्षेत्र में कैसा धर्म रहेगा source: jinswara | 1 | |
13:39, 12 October 2022 | 11 एक तरुण बैल देखा.jpg (file) | 24 KB | एक तरुण बैल देखा, इस का फल है की तरुण अवस्था में धर्म पालेंगे किन्तु वृद्धावस्था में अरुचि रहेगी।, भरत चक्रवर्ती के स्वप्न, 16 स्वप्न, पंचम काल में इस भरत क्षेत्र में कैसा धर्म रहेगा source: jinswara | 1 | |
13:39, 12 October 2022 | 10 कुत्ता पूजन द्रव्य खा रहा है.jpg (file) | 23 KB | कुत्ता पूजन द्रव्य खा रहा है, इस स्वप्न का फल है की पंचम काल में कुपात्र, पात्र के समान आदर पावेंगे। ,भरत चक्रवर्ती के स्वप्न, 16 स्वप्न, पंचम काल में इस भरत क्षेत्र में कैसा धर्म रहेगा source: jinswara | 1 | |
13:38, 12 October 2022 | 9 रत्नराशि धूलि से लिप्त दिखना.jpg (file) | 24 KB | रत्नराशि धूलि से लिप्त दिखना, इसका फल है कि पंचम काल में शुक्ल ध्यानी नहीं होंगे, थोड़ा धर्म रहेगा।,भरत चक्रवर्ती के स्वप्न, 16 स्वप्न, पंचम काल में इस भरत क्षेत्र में कैसा धर्म रहेगा source: jinswara | 1 | |
13:38, 12 October 2022 | 8 सरोवर के मध्य में सूखा और किनारो पर जल भरा है.jpg (file) | 25 KB | सरोवर के मध्य में सूखा और किनारो पर जल भरा है, इस का फल है कि उत्तम तीर्थों में धर्म का अभाव होगा और हींन स्थानो मे धर्म रहेगा ।, भरत चक्रवर्ती के स्वप्न, 16 स्वप्न, पंचम काल में इस भरत क्षेत्र में कैसा धर्म रहेगा source: jinswara | 1 | |
13:37, 12 October 2022 | 7 भूत-प्रेत नाच रहे है.jpg (file) | 27 KB | भूत-प्रेत नाच रहे है, इस स्वप्न का फल है की अज्ञानी, भूतादि व्यंतरो की पूजा जिनेन्द्र के समान करेंगे।, भरत चक्रवर्ती के स्वप्न, 16 स्वप्न, पंचम काल में इस भरत क्षेत्र में कैसा धर्म रहेगा source: jinswara | 1 | |
13:36, 12 October 2022 | 6 हाथी पर बन्दर बैठा है.jpg (file) | 23 KB | हाथी पर बन्दर बैठा है, इसका फल है की पंचम काल में मुनि धर्म का पालन नहीं करेंगे व पापी धर्मात्माओं का अपमान करेंगे।, भरत चक्रवर्ती के स्वप्न, 16 स्वप्न, पंचम काल में इस भरत क्षेत्र में कैसा धर्म रहेगा source: jinswara | 1 | |
13:34, 12 October 2022 | 5 दो बकरे सूखे पत्ते का सेवन कर रहे है.jpg (file) | 25 KB | दो बकरे सूखे पत्ते का सेवन कर रहे है, इस स्वप्न का फल है कि क्षत्रियों का नाश होगा, शूद्र राज्य करेंगे।, भरत चक्रवर्ती के स्वप्न, 16 स्वप्न, पंचम काल में इस भरत क्षेत्र में कैसा धर्म रहेगा source: jinswara | 1 | |
13:33, 12 October 2022 | 4 हंस को कौवे सता रहे है.jpg (file) | 22 KB | हंस को कौवे सता रहे है, इस स्वप्न का फल है कि उच्चकुलीन शुभ आचरण से भ्रष्ट हो खोटे आचरण करेंगे, भरत चक्रवर्ती के स्वप्न, 16 स्वप्न, पंचम काल में इस भरत क्षेत्र में कैसा धर्म रहेगा source: jinswara | 1 | |
13:31, 12 October 2022 | 3 घोड़े पर हाथी चढ़ रहा है.jpg (file) | 22 KB | घोड़े पर हाथी चढ़ रहा है, इसका फल है की पंचम काल में साधु तप से डरेंगे व असमर्थ रहेंगे, भरत चक्रवर्ती के स्वप्न, 16 स्वप्न, पंचम काल में इस भरत क्षेत्र में कैसा धर्म रहेगा source: jinswara | 1 | |
15:20, 11 October 2022 | 2 एक सिंह के पीछे मृग समूह.jpg (file) | 23 KB | एक सिंह के पीछे मृग समूह, भरत चक्रवर्ती के स्वप्न, 16 स्वप्न, इस स्वप्न का फल है कि २३ तीर्थंकरों के समय में खोटे आचरण के मुनि नहीं होंगे, पंचम काल में इस भरत क्षेत्र में कैसा धर्म रहेगा source: jinswara | 1 | |
15:17, 11 October 2022 | 1 २३ सिंहों को देखा.jpg (file) | 27 KB | २३ सिंहो को देखा, भरत चक्रवर्ती के स्वप्न, 16 स्वप्न, इस स्वप्न का फल है कि २३ तीर्थंकरों के समय में खोटे आचरण के मुनि नहीं होंगे, पंचम काल में इस भरत क्षेत्र में कैसा धर्म रहेगा source: jinswara | 1 |