राधावेध
From जैनकोष
द्रौपदी के स्वयंवर हेतु राजा द्रुपद द्वारा कराई गयी दो घोषणाओं में दूसरी घोषणा । इसमें घूमती हुई राधा-मछली की नाक के मोती का बाण से भेदन करना था । अर्जुन ने बाण चढ़ाकर राधा के मोती को बेधा था और द्रौपदी को प्राप्त किया था । इसका अपर नाम चंद्रकवेध था । हरिवंशपुराण - 45.127,हरिवंशपुराण - 45.134-146, पांडवपुराण 15.109-110